ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत हस्त-रेखा का विशेष महत्व है, तथा हस्त रेखा को भारतीय ज्योतिष का अभिन्न अंग माना गया है | प्राचीन काल से ही ज्योतिष शास्त्र का अपना ही महत्व रहा है | जिस व्यक्ति को रेखाओ का ज्ञान होता है वह व्यक्ति हस्त रेखा की सहायता से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओ का अनुमान लगा सकता है | आपके हाथ पर खींची हुई हर रेखा आपके भविष्य, वर्तमान तथा भूत से सम्बंधित रहस्यों को अपने में समाहित किये हुए है | आपके जीवन से सम्बंधित प्रत्येक हो चुकी तथा होने वाली घटना की जानकारी आपकी हस्त रेखाओ में विद्यमान है |
हस्त रेखा विज्ञान के तहत हाथ की हस्त रेखा के आधार पर भूत तथा भविष्य में होने वाली घंटनाओ का अनुमान लगाया जा सकता है, तथा हाथ की उँगलियों की बनावट के आधार पर व्यक्ति के कार्य क्षेत्र, स्वभाव आदि का आकलन करने में सहायक सिद्ध होती है | आपकी हथेली में मुख्य रूप से सात बड़ी तथा सात छोटी रेखाएं होती है जिसमे मुख्य ह्रदय रेखा, भाग्य रेखा तथा मष्तिष्क रेखा होती है साथ बड़ी रेखाओ के नाम जीवन रेखा, ह्रदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा, सूर्य रेखा, स्वास्थ्य रेखा तथा शुक्र मुद्रिका है | इसके अतिरिक्त सात छोटी रेखाएं है, मंगल रेखा, चन्द्र रेखा, विवाह रेखा, निकृष्ट रेखा है तथा तीन मणिबंध रेखाएं होती है जो हथेली की जड़ और हाथ की कलाई स्थित होती है | इन रेखाओ के आधार पर व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, उसके मष्तिष्क की दशा, संतान तथा आयु के विषय में आकलन लगा सकते है |
यह रेखा सबसे छोटी उंगली जिसे कनिष्का के नीचे से निकलकर तर्जनी उंगली के मध्य तक जाती है, यह रेखा व्यक्ति में अवसाद, गुण,स्वभाव, भावनात्मक स्थिरता, सामाजिक व्यवहार, चिडचिडा स्वभाव, साहित्य के प्रति प्रेम आदि को दर्शाती है, यह रेखा जितनी लम्बी होती है, वह व्यक्ति सरल , लोकप्रिय तथा मृदुभाषी होता है, तथा जीवन में सम्मान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त करता है, जिन लोगो की ह्रदय रेखा छोटी होती है, वह व्यक्ति चिडचिडा, शंकालु, असंतोषी प्रवृत्ति के होते है | ऐसे व्यक्ति की छोटी सोच होती है, यह किसी पर जल्दी विश्वास नहीं करते है तथा इस प्रकार के लोगो की प्रवृत्ति क्रूर होती है |